मिस्टर त्रिपाठी के ऑफिस में, एक सेमिनार चल रहा था। यंग इम्पलॉइज को मोटिवेट करने के लिए। एक अचीवर, जैसे ही स्टेज पर पहुंचा, पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। उन्होंने अपने, भाषण की शुरुआत ही, एक कहानी से की। कहने लगे- आज से बहुत साल पहले, एक साम्राज्य था। जिसमें, ये रूल था कि कोई भी व्यक्ति, राजा बन सकता है। लेकिन सिर्फ 5 साल के लिए। और उसके बाद, उस राजा को एक घने जंगल में, छोड़ दिया जाता था, मरने के लिए। 5 साल बाद, वहां एक नया राजा बना, और पहले वाले राजा को, जंगल में छोड़ दिया गया। जो भी लोग, राजा बनते थे, वो महल के एशोआराम में इतने खो जाते कि, भूल जाते थे कि 5 साल बाद, उनके साथ क्या होगा। लेकिन इस बार, जो नया राजा बना था, वो अपने सैनिकों को लेकर, उसी जंगल में गया। वहां देखा, तो कई जानवरों के साथ-साथ, मानव
कंकाल वहां पडे थे। शुरुआत में उसे वहां पर डर लगा, लेकिन रोज, वहां जाने लगा। धीरे धीरे उसे, उस जंगल की आदत हो गई, कई जानवरों और पक्षियों के साथ, मौज-मस्ती करता। ऐसा लग रहा था, मानो जंगल उसका दोस्त बन गया हो। इसी तरह, समय बीतता गया। जब उसके 5 साल पूरे हुए, तो प्रथा के अनुसार, लोगों ने उसे, उसी जंगल में छोड़ दिया, लेकिन दूसरे राजाओं की तरह, वो वहां पर, मरा नहीं। बल्कि, उस जंगल में भी, खुशी से जीने लगा। उतार-चढ़ाव ही, जिंदगी का दूसरा नाम है। इसलिए, हमें हर परिस्थिति में मैनेज करना सीखना चाहिए।